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5 Sep 2025, Fri

thirdeyevision न्याय की देवी अहिल्याबाई होल्कर: अपने बेटे को ही क्यों मार डाला

कुछ ही समय बाद वहां से अहिल्याबाई भी वहां से गुजर रही थी। तभी उन्होंने बछड़े के पास बैठी हुई एक गाय को देखा, तो रुक गईं। उन्हें जानकारी दी गई। कैसे मौत हुई कोई बताने को तैयार नहीं था। अंततः किसी ने डरते हुए उन्हें बताया कि मालोजी के रथ की चपेट में बछड़ा मर गया। यह घटनाक्रम जानने के बाद अहिल्या ने दरबार में मालोजी की धर्मपत्नी मेनाबाई को बुलाकर पूछा कि यदि कोई व्यक्ति किसी की मां के सामने उसके बेटे का कत्ल कर दे तो उसे क्या दंड देना चाहिए? मेनाबाई ने तुरंत जवाब दी कि उसे मृत्युदंड देना चाहिए। इसके बाद अहिल्याबाई ने आदेश दिया कि उनके बेटे मालोजीराव के हाथ-पैर बांध दिए जाएं और उन्हें उसी प्रकार से रथ से कुचलकर मृत्यु दंड दिया जाए, जिस प्रकार गाय के बछड़े की मौत हुई थी।

वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर और गुजरात के सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार से उनको बहुत प्रसिद्धि मिली लेकिन उनके योगदान की सूची में और भी बहुत कुछ है.

भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में शामिल रहीं एनी बेसेंट ने उनके बारे में कहा था, “अहिल्याबाई के शासनकाल को मालवा के स्वर्ण युग के रूप में याद किया जाएगा. सामाजिक न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और सेवा भाव उन्हें दिव्यता की ओर ले गया.”

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