विश्व का सबसे बड़ा ह्रदय विदारक अहमदाबाद हवाई दुर्घटना में 287 लोगो की मौत सबको झकझोर कर रख दिया, घटना का कारण क्या है ? अलग-अलग विशेषज्ञों की कई तर्क-वितर्क बयान आ रहे है, पर ठोस प्रमाणित कारण क्या है कोई बता नहीं पा रहे हैं, पर है कोई ऐसा सकशियत जो सारा राज बहुत जल्द खुलासा कर देगा, ठीक इसी प्रकार कई दुर्घटनाएं अब तक होते आई हैं जिसकी खोज सन १९५३-५४ में वैज्ञानिको द्वारा किया जा चूका हैं जिसे ब्लैक बाक्स कहा जाता हैं, हिंदी में उसे उड़ान अभिलेख भी कहा जाता हैं, यानि फ्लाईट के अन्दर की तमाम हलचल का रिकॉर्डर को एकत्र करने वाला उपकरण जो काफी मजबूत (दुर्घटना ग्रस्त एरोप्लेन चाहे वह भयंकर तापमान की आग हो या समुद्र की गहरे पानी की दबाव) जिसे वायुयान के खास खास स्थानों में विशेष टेल एरिया में व्यवस्थित करके रखा जाता हैं जहाँ बॉक्स सुरक्षित रहने की काबिलियत होती है, वहीँ अहमदाबाद लन्दन की ओर जाने वाली बोईंग ७८७-८ का भी ब्लैक बॉक्स मिलने की सुचना आ चुकी हैं, विशेषज्ञ इसके पड़ताल में जुटे हैं बहुत जल्द इसके खुलाशा ब्लैक बॉक्स के डाटा से हो जाएँगी…
हम बताते आपको इसकी महत्वपूर्ण जानकारी…
आधुनिक विमानों में एक कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर और एक डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर होता है; इन्हें ब्लैक बॉक्स कहा जाता है, हालांकि उच्च दृश्यता सुनिश्चित करने के लिए इन्हें चमकीले नारंगी रंग से रंगा जाता है ; ब्लैक बॉक्स विमान दुर्घटना की जांच की कुंजी होते हैं।

वायुयान में उड़ान के दौरान विभिन्न सूचनाओं को एकत्र करने वाला उपकरण है। इसमें विमान से जुड़ी कई जानकारियाँ, जैसे कि विमान की गति, ऊँचाई, इंजन तथा अन्य यंत्रों की ध्वनी, यात्रियों और पायलटों की बातचित आदि, दर्ज होती रहती है। इन सूचनाओं के विश्लेषण द्वारा विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की स्थिति में दुर्घटना के कारणों की पहचान की जाती है।

इतिहास
वर्ष 1953-1954 में हवाई हादसों की श्रंखला के बाद हवाई जहाज में एक ऐसा उपकरण लगाने की जरूरत महसूस की गई थी जो कि दुर्घटना के समय या उससे तुरंत पहले वायुयान में होने वाले हलचलों और आँकड़ों को संग्रहित कर रख सके तथा जो दुर्घटनाओं में सुरक्षित रहे।
1954 में ब्लैक बॉक्स का पहला प्रारूप हवाई जहाज में लगाया गया। समय-समय पर इसकी बनावट में बदलाव आते रहे हैं। शुरू में इसे ‘रेड एग’ पुकारा गया था, जो रंग की दृष्टि से उसका अधिक उपयुक्त नाम था। ब्लैक बॉक्स के शुरुआती प्रारूपों में उसकी भीतरी दीवार को काला रखा जाता था। वह फोटो फिल्म आधारित आँकड़ा संग्राहक था और भीतरी काला रंग किसी अंधेरे कक्ष की तरह काम करता था। शायद वहीं से इसका नाम ब्लैक बॉक्स पड़ा।
कहा पर फिट होता है ब्लैक बॉक्स… अधिकांश प्लेन के टेल एरिया में सुरक्षित स्थान पर इसे फिट किया जाता हैं, जो दुर्घटना के हर मानक परिस्थिति में सुरक्षित रहती हैं

इसे विमान के पिछले हिस्से में लगाया जाता है, जिसे ऐसा हिस्सा माना जाता है जिसके क्रैश होने पर भी बचने की सबसे ज़्यादा संभावना होती है। ब्लैक बॉक्स को उच्च प्रभाव, आग और गहरे समुद्र के दबाव को झेलने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसे टाइटेनियम या स्टेनलेस स्टील जैसी मज़बूत सामग्रियों से बनाया गया है।
ब्लैक बॉक्स के कार्य इस प्रकार हैं:-

- उड़ान डेटा रिकॉर्ड करना:
ब्लैक बॉक्स विमान की ऊंचाई, गति, दिशा और अन्य महत्वपूर्ण उड़ान मापदंडों को रिकॉर्ड करता है। - कॉकपिट की आवाजें रिकॉर्ड करना:
यह पायलटों की बातचीत, इंजन की आवाजें, और अन्य कॉकपिट ध्वनियों को रिकॉर्ड करता है। - दुर्घटना के कारणों की जांच में सहायता करना:
ब्लैक बॉक्स डेटा का विश्लेषण करके, जांचकर्ता दुर्घटना के कारणों का पता लगा सकते हैं, जैसे कि तकनीकी खराबी, पायलट त्रुटि, या खराब मौसम। - सुरक्षित उड़ान प्रथाओं को विकसित करने में मदद करना:
ब्लैक बॉक्स डेटा का उपयोग करके, विमानन उद्योग सुरक्षित उड़ान प्रथाओं को विकसित कर सकता है और भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं को रोक सकता है। - भविष्य की आपदाओं को रोकने में मदद करना:
ब्लैक बॉक्स की मजबूत निर्माण इसे सबसे भयावह घटनाओं से भी बचने की अनुमति देता है, और इस प्रकार यह दुर्घटनाओं को सुलझाने और बाद की आपदाओं से बचने का समाधान है। - कानूनी मामलों में सबूत के रूप में उपयोग:
ब्लैक बॉक्स डेटा का उपयोग अदालत में कानूनी मामलों में सबूत के रूप में भी किया जा सकता है।

क्या करता है ब्लैक बॉक्स
ब्लैक बाक्स में दो मुख्य डिवाइस होते हैं, कॉकपिट वायस रिकॉर्डर (सीवीआर) और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (एफडीआर)। नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (एनटीएसबी) के अनुसार, सीवीआर पायलट की आवाज, इंजन की आवाज और रेडियो ट्रांसमिशन को रिकार्ड करता है।
दुर्घटना ग्रस्त बोईंग ७८७-८ का ब्लैक बॉक्स मिल चूका हॉस्टल के छत में

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